विर एकलव्य के साथ सल कपट का सच
विर एकलव्य *एकलव्य_जैसा_प्रतिभाशाली इतना गधा तो नहीं रहा होगा कि, तथाकथित गुरू-दक्षिणा के नाम पर उसने अपने ही हाथों अपना अंगूठा (काबिलियत) काट कर उस छलिये को दे दिया हो जिसने उसे धनुर्विद्या सिखायी ही नहीं...???* द्रोणाचार्य का कुत्ता उनके पास आकर उनके चरणों में लोट गया। द्रोणाचार्य ने देखा तो कुत्ते का मुँह बाणों से भरा हुआ था लेकिन उसके मुँह में कहीँ कोई चोट नही थी । कुत्ते के मुँह से कहीँ खून नही निकल रहा था । *द्रोणाचार्य चकित रह गये कि कोई इतना बड़ा धनुर्धर कैसे हो सकता है। जो विद्या अभी तक अर्जुन नहीं सीख पाया... जो विद्या मैं स्वयं नहीं जानता,उसको कोई शूद्र कैसे सीख सकता है।* सारे राजकुमार भी हैरत में थे। उन्होंने द्रोणाचार्य से कहा गुरुवर कौन कर सकता है ऐसा ? हमको अचरज है, हमने ऐसा कभी नहीं देखा। द्रोणाचार्य ने कहा शांत रहो । चलकर देखते हैं कौन ऐसा धनुर्धर पैदा हो गया जिसने इतनी सफाई से कुत्ते का मुँह बन्द कर दिया...??? द्र...