आदिवासी का धर्म
आदिवासियों का कोई धर्म नहीं होता।
आदिवासियों के इतिहास पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि आदिवासी किसी भी धर्म से संबंधित नहीं हैं। साथ ही, आदिवासियों का इतिहास व्यापक रूप से नहीं लिखा गया है। मौखिक होने के कारण आदिवासियों का इतिहास मिटाया जा रहा है। इसलिए आदिवासियों का इतिहास लिखना बहुत जरूरी है। आदिवासी भारत के मूल निवासी हैं। वह प्रकृति के नियमों को ईश्वर मानता है और प्रकृति की पूजा करता है। प्रकृति उनके लिए सब कुछ है लेकिन आधुनिक युग में कुछ लोग खुद को आदिवासी कहने में शर्म महसूस करते हैं। इसलिए भले ही उसकी अपनी संस्कृति दुनिया में महान है, लेकिन वह अपनी संस्कृति को भूल रहा है। ऐसे में आदिवासियों का अस्तित्व ही खतरे में है। इसलिए आदिवासी संस्कृति का संरक्षण समय की आवश्यकता बनती जा रही है।
ऐसे कई संगठन और राजनीतिक पार्टी है जो अपने वोटबैंक के लिए आदिवासी को धर्म से जोडती है जैसे कि हिन्दु
आदिवासी मूल रूप से किसी धर्म के नहीं हैं। वह धर्मनिरपेक्ष है। लेकिन हाल ही में कुछ आदिवासी अज्ञानता, अज्ञानता, गरीबी, मजबूरी के कारण अलग-अलग धर्मों को अपना धर्म मानने लगे हैं। जिन्होंने पढ़ा और सीखा, उन्हें एहसास होने लगा कि हमारा कोई धर्म नहीं है
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